काले जादू की पहेली – गुल और मुनव्वर की कहानी

परिचय

काले जादू की पहेली – गुल और मुनव्वर की कहानी पढ़ने के लिए एक दिलचस्प कहानी है। यह 4 राजकुमारों, एक जादूगर रानी और एक राजा के बारे में है।

कैसे हंस ने राजकुमार को उसका उत्तर ढूंढने में मदद की। दयालुता का कार्य जिसका फल अच्छा मिला।

कहानी – एक काले जादू की पहेली – गुल और मुनव्वर की कहानी

काले जादू की पहेली - गुल और मुनव्वर की कहानी
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एक समय की बात है। एक राजा जो कि बहुत ही, विद्वान और सूझवान था, उसके चार छोटे बेटे थे। एक बार राजा बीमार पड़ गया। उसके उपचार के लिए बड़े बड़े हकीम और वैध बुलाए गए परंतु कोई लाभ ना हुआ। अब राजा को लगने लगा की उसका अंतिम समय निकट ही आ गया है।

उसने अपने चारों पुत्रों को अपने पास बुलाया और कहा मौत का कोई इलाज नहीं हुआ करता। यह संसार एक सराय है। अब मेरे बचने का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा। मैं तुम्हें जाते जाते ये शिक्षा देना चाहता हूँ कि तुम तीन दिशाओं में शिकार खेलने के लिए जाना, परंतु भूल से भी कभी चौथी दिशा यानी दक्षिण दिशा में कभी मत जाना। ये कहकर राजा ने दम तोड़ दिया।

सारे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई और हाहाकार मच गया। समय व्यतीत होने पर राजा के चारों पुत्र बड़े हो गए। सबसे बड़ा पुत्र 20 साल का हो गया था। उसने सिंहासन संभाल लिया। उन चारों भाइयों में आपस में बहुत ही प्यार था और जब भी शिकार खेलने के लिए जाते तो एक साथ जाते। कभी अकेले नहीं जाते थे।

1 दिन चारों भाइयों ने शिकार पर जाने का फैसला किया। वे शिकार के लिए गए। वे तीनों दिशाओं में घूमते रहे परंतु किसी भी दिशा में उन्हें कोई शिकार नहीं मिला। अब खाली हाथ घर वापस जाना उन्हें अच्छा नहीं लगा। इसीलिए अब राजकुमारों ने चौथी दिशा जोकि शेष रह गई थी, वहाँ जाने का फैसला किया।

बड़े भाई ने अपने पिता जी की अंतिम समय में दी गई शिक्षा को याद किया और चौथी दिशा में जाने से रोका। परंतु जब तीनों भाइयों ने ज़िद किया तो उसे भी मानना पड़ा। अब चारों राजकुमार चौथी दिशा में शिकार खेलने के लिए चल पड़े। वे जंगल में घूम रहे थे परन्तु उन्हें कोई भी शिकार नजर नहीं आ रहा था। तभी जंगल में उन्हें एक महल दिखाई दिया।

वे चारों भाई सोचने लगे की हमे इस महल के बारे में पता करना चाहिए। उन्होंने सबसे छोटे भाई को कहा हम इस पेड़ के नीचे बैठते हैं। तुम महल का पता करके आओ कि यह किसका है।

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सबसे छोटा राजकुमार अपने घोड़े पर सवार होकर महल के पास पहुंचा। उसने चारों तरफ से महल का चक्कर लगाया परंतु उसे महल में कोई दरवाजा दिखाई ना दिया। इतने में वो देखता है कि एक पेड़ के नीचे एक बुढ़िया बैठी हुई चरखा काट रही थी, उसके पास एक ढोल पड़ा हुआ था।

राजकुमार बुढ़िया के पास गया और पूछने लगा बुढ़िया माई इस महल का दरवाजा किधर है?

माई ने बड़ी ही विनम्रता से उत्तर दिया, बेटा ये ढोल यहाँ पर रखा है, इस ढोलकों बजाओ तो सब पता चल जायेगा।

राजकुमार ने अपना घोड़ा वहाँ पर बांधा और ढोल को पकड़कर बजाने लगा। ढोल बजाते ही महल में एक दरवाजा खुल गया। राजकुमार दरवाजे के भीतर गया तो देखता है की एक बड़ी ही सुन्दर रानी सामने बैठी थी। राजकुमार उसे देखते ही मोहित हो गया।

रानी उसको देख कर हंसने लगीं। रानी ने राजकुमार का आदर किया और उसे अपने साथ ले गई। रानी को देखकर राजकुमार सब कुछ भूल गया। Wo रानी से पूछने लगा तुम कौन हो?

रानी ने बड़े ही सुंदर और मनमोहक अदा में जवाब दिया, मैं एक राजकुमारी हूँ, मेरा अभी तक विवाह नहीं हुआ है। मैं उस राजकुमार से विवाह करूँगी जो मेरी पहेली का उत्तर देगा।

राजकुमार ने कहा, राजकुमारी मैं एक राजकुमार हूँ, अब तुम मुझे यह बताओ की तुम्हारी पहेली क्या है? मैं विश्वास दिलाता हूँ कि मैं पूरा प्रयत्न करूँगा जिससे कि मैं तुम्हारी पहेली का उत्तर दे सकूँ।

रानी ने कहा, मेरी एक शर्त है। यदि तुमने मेरी पहेली को हल कर दिया तो तुम मुझसे विवाह कर लेना, परंतु यदि तुम से मेरी पहेली हल ना हुई तो मैं तलवार से तुम्हारा सिर काट दूंगी।

राजकुमार उसके सौंदर्य पर मुग्ध हो चुका था, इसीलिए उसने रानी की बात बिना किसी प्रकार के सोच विचार किए ही मान ली।

रानी ने पहेली पूछी, “गुल ने मुसब्बर के साथ क्या किया और मुसब्बर ने गुल के साथ क्या किया?”

राजकुमार ने बड़ा ही प्रयत्न किया। परंतु इस पहेली का कोई हल ना निकाल सका। रानी की पहेली को ना सुलझा पाने के कारण वह अपनी पराजय को स्वीकार कर लेता है और राजकुमार ने रानी के आगे घुटने टेक देता है । रानी ने अपनी शर्त के अनुसार म्यान से तलवार निकाल कर राजकुमार का सिर काट दिया।

राजकुमार का सिर काटते ही महल का दरवाजा पहले की तरह से ही बंद हो गया। छोटा राजकुमार अब मारा जा चुका था। उसके तीनों भाई उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे।अंत में उसके बड़े भाई ने कहा मैं पता लगाता हूँ।

बड़ा भाई भी उस महल के चारों ओर घूमने लगा परंतु उसे कोई दरवाज़ा ना मिला। उसने देखा कि एक तरफ उसके भाई का घोड़ा बंधा हुआ था और निकट ही एक बुढ़िया चरखा काट रही थी। उसने शीघ्रता से पूछा, मेरा राजकुमार भाई अपना घोड़ा बांधकर कहाँ चला गया?

बुढ़िया ने उत्तर दिया, ये ढोल पड़ा हुआ है, इसे बजाओ तो तुम्हें सब कुछ पता चल जायेगा। जब राजकुमार ने ढोल बजाया तो पहले की तरह से ही दरवाजे अपने आप खुल गए और वह रानी के पास गया। रानी ने फिर से वही पहेली दोहराई।

राजकुमार वह पहेली सुलझा ना पाया। इस प्रकार अपनी शर्त के अनुसार रानी ने उसका सिर भी तलवार से काट दिया।

जब दूसरा राजकुमार भी ना आया तो तीसरा राजकुमार जो बड़े भाई से छोटा था अपने भाइयों का पता लगाने के लिए उस महल की तरफ चल पड़ा। उसने भी बुढ़िया के कहने पर ढोल बजाया। रानी के पास गया और रानी ने उससे भी पहेली पूछी। पहेली का हल ना बताने पर रानी ने उसका भी वध कर दिया।

जब तीनों राजकुमारों में से कोई भी वापस नहीं आया तो सबसे बड़ा राजकुमार बड़ा ही हैरान हो गया। वह अपने घोड़े पर सवार होकर महल की तरफ चल पड़ा। वहाँ पर उसने तीन घोड़े बंधे हुए देखे और बुढ़िया को चरखा काटते हुए देखा। उसने जल्दी से एम आई से पूछा।

बुढिया माई इन घोड़ों के सवार मेरे भाई कहाँ पर है? जल्दी बताईये? बुढ़िया ने पहले की तरह से ही ढोल बजाने के लिए कहा। राजकुमार ने ढोल नहीं बजाया और मन ही मन सोचने लगा कि जरूर ये कोई धोखा है। उसने बुढ़िया को पकड़ लिया और उसकी चोटी पकड़ कर उसे दो चार थप्पड़ जड़ दिए और गुस्से भरे स्वर में कहा जल्दी बताओ कि राजकुमार कहाँ पर है? नहीं तो मैं तुम्हें मार दूंगा।

बुढ़िया कांपती हुई आवाज में बोली, बेटा इस महल में एक रानी रहती है जो कि तंत्र विद्या जानती है। वह आये हुए राजकुमारों से एक पहेली पूछती है यदि राजकुमार उस पहेली को हल नहीं कर पाता तो वो उसका सिर अपनी तलवार से काट देती है।

अब राजकुमार ने समझ लिया कि मेरे भाई मारे गए हैं। उसने बुढ़िया को और भी मारा पीटा और जान से मारने की धमकी देकर पूछा, बुढ़िया यदि तुझे अपनी जान प्यारी है तो बताओ कि वह पहेली क्या है?

अपनी जान तो सभी को प्यारी होती है। रोते हुए बुढ़िया ने कहा रानी की पहेली ये है कि “गुल ने मुसब्बर के साथ क्या किया और मुसब्बर ने गुल के साथ क्या किया?” राजकुमार ने आंखें निकालकर बुढ़िया से पूछा इसका हल क्या है? बुढ़िया ने कहा बेटा चाहे तुम मुझे मार डालो, चाहे मेरी जान बख्श दो, जितना मुझे पता था उतना मैंने तुम्हें बता दिया है। इसका हल तो मुझे भी नहीं पता।

अब राजकुमार ने पूछा इस पहेली का हल कहाँ से पता चल सकता है? बुढ़िया माई ने कहा दक्षिण दिशा में 400 कोस जाने पे, गुल नाम का एक राजा राज़ करता है। इस पहेली का हल उससे ही पता चल सकता है। राजकुमार ने उसकी बात मान ली। उसने अपने भाइयों के घोड़ों को जंगल में चरने के लिए छोड़ दिया और अपने घोड़े पर सवार होकर गुल नाम के उस राजा के शहर में चल पड़ा।

गम और उदासी से भरा हुआ राजकुमार अपने भाइयों का विलाप करता हुआ कई कई रात और दिन लगातार चलता रहा। 1 दिन थक कर राजकुमार आराम करने के लिए एक वृक्ष के नीचे लेट गया और घोड़े को चरने के लिए छोड़ दिया।

बहुत दिनों से वो सोया नहीं था, इसीलिए लेटते ही उसे नींद आ गई। थोड़ी देर के बाद ही चीं चीं की आवाज उसके कानों में आई तो राजकुमार की आंख खुल गई। राजकुमार हड़बड़ाकर उठा तो देखता क्या है कि एक सांप वृक्ष पर हंस और हंसनी के बच्चों को खाने की कोशिश कर रहा है और वे बच्चे चीं चीं कर रहे हैं।

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राजकुमार ने म्यान से तलवार निकाली और सांप के टुकड़े टुकड़े कर दिए और फिर से वापस सो गया। जब हंस और हंसनी बच्चों के लिए दाना लेकर वापस आये तो बच्चों ने खाना नहीं खाया। हंस और हंसनी ने पूछा की बच्चो तुम दाना क्यों नहीं खा रहे? बच्चों ने कहा पहले तुम वृक्ष के नीचे सो रहे उस अतिथि को खाना खिलाओ जिसने सांप को मारकर हमारी जान बचाई है।

उन्होंने मुसाफिर को जगाया और हंस ने कहा तुमने हमारे बच्चों की जान बचाई है, हम तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। यदि तुम हमारी जान भी मांगोगे तो हाजिर है। राजकुमार ने कहा, मैं एक दुखी राजकुमार हूँ। मैं गुल नाम के एक राजा के पास पहेली पूछने के लिए जा रहा हूँ। क्या तुम मेरी सहायता कर सकते हो?

हंस ने अपने शरीर का एक पंख उखाड़कर राजकुमार को देते हुए कहा, जब तुम किसी मुसीबत में फंस जाओ, तुम मेरे शरीर के इस पंख में आग लगा देना। इनको आग लगे गी तो मेरा शरीर जलने लगेगा मैं उसी पल तुम्हारे पास पहुँच जाऊंगा, उस समय तुम्हारी सहायता करूँगा, चाहे मुझे अपनी जान भी क्यों न देनी पड़े।

राजकुमार ने वो पंख संभाल कर रख लिए और घोड़े पर सवार होकर चलते चलते गुल नाम के उस राजा के दरबार में हाजिर हो गया। राजकुमार ने राजा से फरियाद की महाराज मैं आपके पास अपना राजपाठ घर बार छोड़कर एक पहेली पूछने के लिए आया हूँ। राजा ने कहा बोलो क्या पहेली है?

मैं पूछना चाहता हूँ कि “गुल ने मुसब्बर के साथ क्या किया और मुसब्बर ने गुल के साथ क्या किया?” यह सुनकर गुल नाम का वो राजा कहने लगा, ये खुदा के बंदे मैं तुम्हें इस पहेली का हल तो बता दूंगा परंतु बताने के बाद तुम्हारा sir तलवार से काट लूँगा, बताओ तुम्हे मंजूर है।

राजकुमार ने तुरंत उत्तर दिया, महाराज मुझे मंजूर है। राजपाट के काम के बाद गुल नाम का वो राजा सभी दरबारियों को भेज देता है। वो राजकुमार को अपने पास बुलाकर कहता है सुनो खुदा के अब मैं तुम्हें गुल और मुसब्बर की कहानी सुनाता हूँ।

गुल तो मेरा नाम है और मेरी रानी का नाम था मुसब्बर 1 दिन आधी रात के समय मैं अचानक अपनी नींद से जाग गया तो मैंने देखा कि मेरी रानी पलंग पर नहीं थी। पलंग को खाली देखकर मैं बड़ा ही हैरान और परेशान हुआ। परन्तु मैंने दिन में रानी से इस बारे में कुछ भी नहीं पूछा।

दूसरे दिन मैं जानबूझ कर खराटे मारने लगा। रानी ने शृंगार किया और एक बर्तन में मिठाई भरी और अंधेरी रात में महल से निकल गयी। मैं भी तलवार लेकर दबे पांव उसके पीछे पीछे चल पड़ा। एक कुतिया भी मेरे पीछे चल पड़ी जो की मेरी पालतू थी। रानी शहर से बाहर एक साधु की कुटिया में चली गयी।

मैं चुप कर कुटिया के बाहर बैठ गया। रानी के अंदर जाते ही साधु ने बड़े ही गुस्से से कहा, तुमने इतनी देर क्यों कर दी? इसी पल मेरी कुटिया से बाहर हो जाओ। रानी ने हाथ जोड़कर कहा, मैं आगे से ऐसी गलती नहीं करूँगी। मुझे यह सुनकर बड़ा ही क्रोध आया और मैंने साधु पर तलवार से वार किया।

असल में वह साधु तंत्र मंत्र जानता था और रानी के उसके साथ संबंध थे। साथ ही रानी उससे तंत्र मंत्र की शिक्षा भी ले रही थी। साधु ने अपनी शक्ति सेमुझे नीचे गिरा दिया और मुझ पर हमला करने लगा। तभी मेरी पालतू कुतिया जो कि मेरे पीछे पीछे आ रही थी, उसने पीछे से आकर साधु की टांग पकड़ ली और मैंने मौका पाते ही अपनी तलवार से साधु का वध कर दिया।

स्त्रियों पर तलवार से वार करना वीरों को शोभा नहीं देता। इसीलिए मैंने उसी पल रानी को आदेश दिया कि हे रानी मेरे राज्य से बाहर निकल जाओ। मैं इसी वक्त तुम्हें छोड़ रहा हूँ। अपनी बात सुनाते हुए गुल राजा की आँखें लाल हो रही थी। उसने कहा मुसाफिर ये है जो गुल ने मुसब्बर के साथ किया और मुसब्बर ने गोल के साथ किया। अब तुम ऐसा करो की तुम्हे जो खाना पीना हैं, खा लो तुम परदेसी हो, तुम्हारा सिर मैंने कल सुबह काटना है।

राजकुमार ने कहा मैंने कुछ खाना नहीं खाना परंतु मेरे दिल में एक इच्छा है की मैं महल पर चढ़कर एक हुक्का पिऊ गुल राजा ये बात मान गया। उसने आज्ञा देकर एक हुक्का तैयार करवाया और राजकुमार महल की छत पर चढ़कर हुक्का पीने लगा।

तभी राजकुमार ने अपने पास छुपाया हुआ हंस का वो पंख निकाला और हुक्के की आग से उसे जला दिया। उसी समय वो हंस तेजी से राजकुमार के पास आ गया। उसने राजकुमार से कहा, तुम किसी मुसीबत में हो? राजकुमार ने कहा, क्या तुम मुझे यहाँ से ले जा सकते हो? हंस ने उसे शीघ्रता से अपने पीठ पर बिठाया और वहाँ से उड़कर महल से बहुत दूर जंगल में जा पहुंचा। गुल राजा उसका मुँह ही ताकते रह गया। उसका कोई भी जोड़ ना चल सका।

राजकुमार के कहने पर हंस ने राजकुमार को उस महल के पास उतारा और नमस्कार करके वापस चला गया। राजकुमार उस बुढ़िया के पास गया और बोला बताओ ढोल कहा पर है? बुढ़िया ने ढोल की तरफ इशारा किया। राजकुमार ने ज़ोर से ढोल बजाया तो महल के दरवाजे खुले।

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राजकुमार भीतर चला गया। अंदर बैठी सुन्दर रानी ने एक बार फिर से राजकुमार से वही पहेली पूछी और सोचने लगीं कि यह मेरा नया शिकार है। रानी ने कहा कि यदि तुम इस पहेली को हल करते हो तो तुम्हें मुझसे विवाह करना होगा, नहीं तो मैं तुम्हारा सिर कलम कर दूंगी।

परंतु राजकुमार ने कहा, मुझे यह शर्त मंजूर नहीं है। मेरे घर पर पहले से ही मेरी रानी है। मुझे विवाह की कोई जरूरत नहीं है। मैं तो सिर्फ सिर की बाजी लगाना चाहता हूँ। यदि मुझसे ये पहेली हल ना हुई तो तुम मेरा सिर कलम कर देना। नहीं तो मैं तुम्हारा सिर कलम कर दूंगा। रानी ने सोचा की गुल मुसब्बर की कहानी इसको क्या पता होगी इसका पता तो सिर्फ मुझे अथवा मेरे पति गुल राजा को है।

 रानी ने पहली बताई की बताओ गुल ने मुसब्बर के साथ क्या किया और मुसब्बर ने गोल के साथ क्या किया?

राजकुमार ने गुल और मुसब्बर की सारी कहानी उस रानी को सुना दी और फिर उसके बाद राजकुमार ने म्यान से तलवार निकाली। उसके दिल में अपने भाइयों का प्रतिशोध लेने का क्रोध भर आया। उसने कहा, पापिन रानी मैं तुम्हारा सिर काटने लगा हूँ, तुम तंत्र मंत्र जानती हो? वास्तव में बताओ कि तुम कौन हो?

अब रानी के पांव के नीचे से जमीन खिसकने लगी। वह थर थर कांपने लगी। उसके सिर पर लटकती हुई तलवार को देखकर उसके आंसू बहने लगे। आज उसे अपने सभी गुनाह याद आ रहे थे। वो उसने कांपती हुई आवाज में कहा, राजकुमारमैं ही मुसब्बर हूँ, तुम मेरी जिंदगी बख्श दो राजकुमार ने गरजकर कहा, पापिन रानी, तुमने जीतने सिरों को काटा है उस हिसाब से तुम्हें जीवन दान कभी नहीं मिल सकता।

राजकुमार जो कि प्रतिशोध की अग्नि में जल रहा था, उसने एक ही झटके में रानी का सिर काट दिया। रानी का सिर काटते ही मानो चमत्कार हो गया। जीतने भी सिर रानी में काटे थे। वे सभी लोग जिंदा हो गए, जिनमें राजकुमार के भाई भी थे। रानी का सिर काटते ही देखते ही देखते ही वहाँ ना तो कोई महल बचा और ना ही चरखा काटती हुई कोई बुढ़िया और ना ही वहाँ पर कोई ढोल था। ये सब रानी द्वारा ही अपने तंत्र मंत्र से रचा गया था और उसके मरते ही सब गायब हो गया। राजकुमारअपने भाइयों को लेकर अपने देश खुशी खुशी वापस लौट गया।

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