November 2024

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
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दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ – अकबर इलाहाबादी

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ. अकबर इलाहाबादी की इस शायरी में वह अपनी आत्म-चेतना, जीवन के दृष्टिकोण

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अकबर इलाहाबादी की 5 शायरियां
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अकबर इलाहाबादी की 5 शायरि

अकबर इलाहाबादी की 5 शायरि. अकबर इलाहाबादी का शायरी संसार इंसानी फितरत, सामाजिक विषमताओं, धार्मिक रूढ़ियों और जिंदगी की वास्तविकताओं

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हंगामा है क्यूँ बरपा - अकबर इलाहाबादी
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हंगामा है क्यूँ बरपा? – अकबर इलाहाबादी की व्यंग्यात्मक कविता की गहराई

हंगामा है क्यूँ बरपा – अकबर इलाहाबादी. इस शायरी में अकबर इलाहाबादी ने मानव स्वभाव, समाज की धारणाओं और ईश्वर

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