‘मोंटा रे’ (केमोन बोका मोंटा रे) एक भावपूर्ण गीत है जिसने अपनी मधुर धुन और दिल को छू लेने वाले बोलों से कई लोगों के दिलों पर कब्ज़ा कर लिया है। अमित त्रिवेदी द्वारा रचित और स्वानंद किरकिरे और अमिताभ भट्टाचार्य द्वारा गाया गया यह गीत समकालीन बंगाली संगीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। यह ब्लॉग पोस्ट गीत का गहन सारांश प्रदान करता है, इसके विषय, संगीत रचना और सांस्कृतिक प्रभाव का विश्लेषण करता है।
‘मोंटा रे’ गीत मानवीय भावनाओं की जटिलताओं को दर्शाता है, खास तौर पर प्यार और लालसा के विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है। गीत के बोल प्यार में डूबे एक व्यक्ति की आंतरिक उलझन और भावनात्मक यात्रा को खूबसूरती से दर्शाते हैं। रूपक भाषा का उपयोग गीत की सामग्री को समृद्ध करता है, जिससे यह श्रोताओं के लिए प्रासंगिक और प्रभावशाली बन जाता है।
‘मोंटा रे’ का मतलब मन होता है। इसे हम आंतरिक चेतना मान सकते हैं। कवि ने ‘केमोन बोका मोंटा रे’ का उल्लेख किया है जिसका अर्थ है ‘ये मन कितना बेवक़ूफ़, बोका है?’। जब हम मोंटा रे का अर्थ और विश्लेषण देखेंगे तो हम गीत के विवरण पर गौर करेंगे।
मोंटा रे को दुबारा अनन्या चतुर्वेदी ने गाया है, और वो बेहद लोकप्रिय हुआ है।
Explore Category: कविताएँ
यह भी पढ़ें: क्या है मेरी बारी में | हरिवंश राय बच्चन की कविता

Table of Contents
मोंटा रे गाने के बोल
मोंटा रे गाने के बोल अंग्रेजी में
O! Praan Paakhir Mor Uira Jaaye……
~ Amit Trivedi (Lootera Movie)
Khacha Theke
Preet Baro Jaala Re
Baro Jaala … Haaye!
Kaagaz ke do pankh leke uda chala jaaye re
Jahan nahi jaana tha ye wahin chala haye re
Umar ka yeh taana-baana samajh na paaye re
Zubaan pe jo moh-maaya, namak lagaye re
Ke dekhe na, bhaale na, jaane na daaye re
Disha haara kemon boka monta re! (x2)
Fateh kare qile saare, bhed jaaye deewarein
Prem koi sendh laage.. (sendh lage re lage)
Agar magar bari bari jiya ko yun uchhale
Jiya nahin gend laage.. (gend lage re lage)
Maati ko ye chandan sa maathe pe sajaye re
Zubaan pe jo moh maaya namak lagaye re
Ke dekhe na bhale na jaane na daaye
Disha haara kemon boka monta re
मोंटा रे गाने के बोल हिंदी में
ओ! प्राण पाखीर मोर उइरा जाए…….
~ Amit Trivedi (Lootera Movie)
खचा थेके
प्रीत बारो जाला रे
बोरो जाला हाय!…
काग़ज़ के दो पंख लेके उड़ा चला जाए रे
जहाँ नहीं जाना था, ये वहीं चला, हाय रे
उमर का ये ताना-बाना समझ ना पाए रे
ज़ुबाँ पे जो मोह-माया, नमक लगाए रे
के देखे ना, भाले ना, जाने ना, दाए रे
दिशाहारा केमोन बोका मोंटा रे
फ़तह करे किलें सारे, भेद जाए दीवारें
प्रेम कोई सेंध लागे
अगर-मगर, बारी-बारी, जिया को यूँ उछाले
जिया नहीं गेंद लागे
माटी को ये चंदन सा माथे पे सजाए रे
ज़ुबाँ पे जो मोह-माया, नमक लगाए रे
के देखे ना, भाले ना, जाने ना, दाए रे
दिशाहारा केमोन बोका मोंटा रे
मोंटा रे गीत का अर्थ
O! Praan Paakhir Mor Uira Jaaye……
Khacha Theke
Preet Baro Jaala Re
Baro Jaala … Haaye!
मेरे प्राण जा रहे हैं। और ये प्राण का पंछी इस शरीर के पिंजरे को छोड़ के उड़ा जा रहा है। यहाँ पे प्राण को एक पंछी और शरीर को एक पिंजरा कहा गया है।
और ये प्रीत या प्यार बहुत जाला है, मतलब बहुत तकलीफ देने वाला है। हाय! बहुत तकलीफ देने वाला है।
मरने का समय आ चूका है। प्राण शरीर को छोड़ने वाले हैं। लेकिन प्रेम अभी भी तकलीफ दे रहा है। इस प्रेम को अभी भी आशा है। और ये प्रेम अभी भी दुःख दे रहा है। और ये मन एक बेवक़ूफ़ है, जो बिना सोचे समझे प्रेम के पीछे भाग रहा है।
केमोन बोका मोंटा रे – कैसा बेवक़ूफ़ मन है रे
काग़ज़ के दो पंख लेके उड़ा चला जाए रे
जहाँ नहीं जाना था, ये वहीं चला, हाय रे
उमर का ये ताना-बाना समझ ना पाए रे
ज़ुबाँ पे जो मोह-माया, नमक लगाए रे
के देखे ना, भाले ना, जाने ना, दाए रे
दिशाहारा केमोन बोका मोंटा रे
ये जो मन है, कागज़ के पंखों के सहारे उड़ा चला जाता है। ये पंख कागज़ के हैं, कमज़ोर हैं, टूट सकते हैं, फिर भी इन कमज़ोर पंखों के सहारे उड़ रहा है।
और इन कागज़ के कमज़ोर पंखों के सहारे वहां चला जाता है, जहाँ उसे नहीं जाना चाहिए। और ये मन इस उम्र के उधेड़बुन को भी नहीं समझता है। ये नहीं समझता है के जीवन का अंत हो रहा है। फिर भी ये सपने देख रहा है। उड़ रहा है।
एक तो ये उम्र का ताना बाना भी नहीं समझता है, दूसरा ये अभी भी मोह-माया में फंसा हुआ है। इसकी जुबान पे मोह-माया नमक लगाते हैं और ये बहक जाता है। इस मोह माया में फस के ये बिना देखे, बिना जाने, बिना कोई जांच किये दौड़ा चला जाता है।
ये जो मन है दिशाहीन है। ये मन कैसा बेवक़ूफ़ है।
फ़तह करे किलें सारे, भेद जाए दीवारें
प्रेम कोई सेंध लागे
अगर-मगर, बारी-बारी, जिया को यूँ उछाले
जिया नहीं गेंद लागे
माटी को ये चंदन सा माथे पे सजाए रे
ज़ुबाँ पे जो मोह-माया, नमक लगाए रे
के देखे ना, भाले ना, जाने ना, दाए रे
दिशाहारा केमोन बोका मोंटा रे
एक ये प्रेम है, जो सारे किले तोड़ देता है। इस प्रेम को चाहे कितने बंधनों में बाँध लो, चाहे इसके लिए कितने पहरे लगा लो। ये सारे किलों को जीत लेता है। सारी दीवारों में सेंध लगा देता है, दीवारों को पार कर जाता है और दिल तक पहुंच ही जाता है। ऐसा लगता है जैसे ये प्रेम कोई चोर है।
ये बिना मतलब ही, बार बार दिल को उछाल देता है, मतलब, दिल में बिना किसी कारण के उन्माद पैदा कर देता है। ऐसा लगता है जैसे दिल इस प्रेम के लिए एक गेंद है। ये प्रेम, दिल से किसी गेंद की तरह खेलता है।
इस प्रेम में ये दिल इतना उन्माद में भर जाता है के ये मिटटी को भी चन्दन समझ के माथे पे लगता है। मतलब प्रेम में भर के दिल किसी उंच नीच की भावना से परे हो जाता है। ये चन्दन और मिटटी में फर्क भी नहीं समझ पाता है।
इसकी जुबान पे मोह-माया नमक लगाते हैं और ये बहक जाता है। इस मोह माया में फस के ये बिना देखे, बिना जाने, बिना कोई जांच किये दौड़ा चला जाता है।
ये जो मन है दिशाहीन है। ये मन कैसा बेवक़ूफ़ है।
केमोन बोका मोंटा रे गीत सारांश
इस प्रेम में ये दिल इतना उन्माद में भर जाता है के ये मिटटी को भी चन्दन समझ के माथे पे लगता है। मतलब प्रेम में भर के दिल किसी उंच नीच की भावना से परे हो जाता है। ये चन्दन और मिटटी में फर्क भी नहीं समझ पाता है।
मेरे हिसाब से “केमोन बोका मोंटा रे” में मन की चंचलता और प्रेम के प्रति इसके लगाव को दिखाया गया है। ये गाना लूटेरामूवी में दिखाया गया है, इसकी नायिका को एक बिमारी है, और इसका नायक एक लूटेरा है। दोनों को ही अपना भविष्य नहीं पता है, फिर भी एक दुसरे को प्रेम में पड़ने से रोक नहीं पाते हैं।
शायद यही मन की चंचलता है। ये किसी भी बंधन को नहीं मानता। उम्र, जीवन, मृत्यु, किसी भी प्रकार के बंधन को नहीं। यही कारण है के ये प्रेम बहुत तकलीफ देता है। और इसलिए, इस गाने में कहा गया है “केमोन बोका मोंटा रे” – कैसा बेवक़ूफ़ ये मन है रे।
ये मैं प्रेम में पड़ ही जाता है। और प्रेम, सारे बंधन तोड़ के इस दिल के साथ खेलता है। प्रेम में पड़ा हुआ इंसान, किसी भी फर्क को नहीं समझता। माटी हो या चन्दन, इस सब एक ही लगता है।
List of Poets in Alphabetical Order
कवियों की सूची