परिचय

Summary of Othello in Hindi | ओथेलो का सारांश. विलियम शेक्सपियर, जिन्हें विश्व के महानतम नाटककारों में से एक माना जाता है, का जन्म 1564 में स्टैटफर्ड-अपॉन-एवन, इंग्लैंड में हुआ था। उनकी लेखन शैली और साहित्यिक कृतियों ने अंग्रेजी साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। शेक्सपियर के नाटकों में मानव स्वभाव, सामाजिक संगठन, और नैतिक मुद्दों का अन्वेषण देखने को मिलता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में 39 नाटकों, 154 सॉनेट्स और कई कविताओं की रचना की।

उनके नाटकों में ‘ओथेलो’ एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह नाटक 1603 और 1604 के बीच लिखा गया और पहली बार 1604 में मंचित किया गया। ‘ओथेलो’ शेक्सपियर के चार प्रमुख त्रासदियों में से एक है, जिसमें ‘हेमलेट’, ‘मैकबेथ’, और ‘किंग लियर’ भी शामिल हैं। इस नाटक की कहानी शेक्सपियर ने इटालियन लेखक चिंथियो की एक कहानी से प्रेरित होकर लिखी थी, जो उनके संग्रह ‘हैक्टोमिथी’ में शामिल है।

‘ओथेलो’ की कहानी एक महान मोर (मूर) जनरल ओथेलो की है, जो वेनिस की सेवा में है। नाटक की प्रमुख थीम्स में ईर्ष्या, विश्वासघात, और नस्लवाद शामिल हैं। ओथेलो का मुख्य विषय उसकी पत्नी देसडेमोना के प्रति उसकी ईर्ष्या और उसके विश्वासघात की झूठी धारणा है, जिसे इयागो नामक पात्र ने उत्पन्न किया है।

शेक्सपियर के ‘ओथेलो’ का ऐतिहासिक और साहित्यिक महत्व इस बात में निहित है कि इसने साम्प्रदायिक और व्यक्तिगत संघर्षों को जिस तरह से चित्रित किया, वह अद्वितीय है। यह नाटक आज भी समकालीन समाज में प्रासंगिक है और इसकी कहानी और पात्रों के माध्यम से यह मानवीय भावनाओं और कमजोरियों की जटिलताओं को उजागर करता है। शेक्सपियर के ‘ओथेलो’ ने साहित्यिक जगत में एक अमिट छाप छोड़ी है, और इसे अध्ययन और प्रस्तुति दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण कृति माना जाता है।

Summary of Othello in Hindi | ओथेलो का सारांश

Summary of Othello in Hindi ओथेलो का सारांश

मुख्य पात्र

‘ओथेलो’ विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण नाटक है, जिसमें विभिन्न पात्रों का गहन विश्लेषण और उनके आपसी संबंधों का चित्रण किया गया है। इस नाटक के मुख्य पात्रों में ओथेलो, डेस्डेमोना, इयागो, और कैसियो शामिल हैं।

ओथेलो इस नाटक का प्रमुख पात्र है, जो एक मूरिश जनरल है और अपने साहस एवं नेतृत्व के लिए जाना जाता है। उसकी ईमानदारी और वीरता ने उसे वेनिस की सेना में उच्च पद दिलाया है। हालाँकि, उसकी पहचान और नस्लीय पृष्ठभूमि पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं, जिससे उसके भीतर असुरक्षा की भावना पनपती है।

डेस्डेमोना ओथेलो की पत्नी है, जो अपनी सुंदरता और निर्दोषता के लिए जानी जाती है। वह नाटक में सच्चे प्रेम और वफादारी का प्रतीक है। डेस्डेमोना का अपने पति ओथेलो के प्रति अटूट प्रेम और निष्ठा, उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

इयागो इस नाटक का खलनायक है, जो अपनी धूर्तता और चालाकी के लिए प्रसिद्ध है। इयागो ओथेलो के प्रति घृणा और द्वेष से भरा हुआ है और उसे धोखा देने के लिए हर संभव प्रयास करता है। उसकी योजनाएँ और साजिशें नाटक की कहानी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

कैसियो ओथेलो का लेफ्टिनेंट है, जो अपने आकर्षक व्यक्तित्व और ईमानदारी के लिए जाना जाता है। इयागो की साजिशों का शिकार होकर, कैसियो को ओथेलो के साथ अपने संबंधों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

इन मुख्य पात्रों के बीच के संबंध और उनकी व्यक्तिगत विशेषताएँ ‘ओथेलो’ की कहानी को गहराई और जटिलता प्रदान करती हैं। ओथेलो, डेस्डेमोना, इयागो, और कैसियो के चरित्र के माध्यम से शेक्सपियर ने मानव प्रकृति और उसकी जटिलताओं का अद्भुत चित्रण किया है।

कहानी की शुरुआत

विलियम शेक्सपियर के नाटक “ओथेलो” की शुरुआत उस समय होती है जब ओथेलो और डेस्डेमोना का विवाह हो चुका होता है। ओथेलो, एक मोरिश जनरल है, जो वेनिस के सेवा में है, और डेस्डेमोना, एक युवा और सुंदर महिला है, जो एक प्रतिष्ठित परिवार से आती है। उनका विवाह सामाजिक और नस्लीय बाधाओं को पार करते हुए हुआ है, जिसके कारण यह विवाह कई लोगों की आंखों में खटक रहा है।

कहानी की शुरुआत में ही इयागो, ओथेलो का विश्वासपात्र और सहयोगी, अपनी असलियत को जाहिर करता है। इयागो, जो ओथेलो के प्रति गहरी ईर्ष्या और घृणा रखता है, अपने मित्र रोड्रीगो के साथ मिलकर ओथेलो और डेस्डेमोना के विवाह को बर्बाद करने की योजना बनाता है। इयागो की ईर्ष्या का मुख्य कारण यह है कि ओथेलो ने उसे प्रमोट करने के बजाय कैसियो को अपना लेफ्टिनेंट बना दिया है।

इयागो, अपनी चालाकी और षड्यंत्रकारी सोच से, ओथेलो को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि डेस्डेमोना निष्ठावान नहीं है। वह कैसियो को भी अपने जाल में फंसाने की योजना बनाता है, ताकि ओथेलो को यह लगे कि डेस्डेमोना और कैसियो के बीच कोई अवैध संबंध है। इयागो का षड्यंत्र धीरे-धीरे परवान चढ़ता है और वह अपनी चालों से ओथेलो को मानसिक रूप से कमजोर करने लगता है।

इस प्रकार, नाटक की शुरुआत में ही हमें ओथेलो और डेस्डेमोना के बीच प्रेम और विश्वास की परीक्षा के साथ-साथ, इयागो की ईर्ष्या और षड्यंत्र की जटिलता का अहसास होता है। यह शुरुआत नाटक की आगे की घटनाओं के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है और दर्शकों को कहानी में गहराई से जोड़े रखती है।

इयागो की चालें

विलियम शेक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक “ओथेलो” में इयागो का चरित्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इयागो की चालें और षड्यंत्र न केवल नाटक की कथा को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि ओथेलो के मनोविज्ञान को भी गहराई से प्रभावित करते हैं। इयागो की चालों का मुख्य उद्देश्य ओथेलो को उसकी पत्नी डेस्डेमोना के प्रति शक करने के लिए उकसाना है।

इयागो अपनी चालों की शुरुआत ओथेलो के विश्वासपात्र कैसियो को निशाना बनाकर करता है। वह एक ऐसी स्थिति उत्पन्न करता है जिसमें कैसियो को ओथेलो की नजरों में गिरा दिया जाता है। इसके बाद, इयागो डेस्डेमोना और कैसियो के बीच एक झूठी प्रेम कहानी गढ़ता है। इस कहानी को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए, इयागो डेस्डेमोना का रूमाल चुराकर कैसियो के पास रख देता है। यह रूमाल ओथेलो के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और वह इसे डेस्डेमोना के प्रति कैसियो की वफादारी का प्रतीक मान लेता है।

इयागो अपनी चालों को और भी जटिल बनाता है जब वह ओथेलो के मन में धीरे-धीरे डेस्डेमोना के प्रति शक और अविश्वास के बीज बोता है। वह विभिन्न संकेतों और सबूतों का उपयोग करके ओथेलो को यकीन दिलाता है कि डेस्डेमोना और कैसियो के बीच अवैध संबंध है। इयागो की चालें इतनी सूक्ष्म और प्रभावी होती हैं कि ओथेलो धीरे-धीरे अपने विवेक और तर्कशक्ति को खो बैठता है।

इयागो के षड्यंत्रों का परिणाम यह होता है कि ओथेलो अपने आप को पूरी तरह से इयागो के जाल में फंसा हुआ पाता है। इयागो की चालें न केवल ओथेलो के जीवन को तबाह करती हैं, बल्कि डेस्डेमोना की निर्दोषता को भी बर्बाद कर देती हैं। इस प्रकार, इयागो की चालें नाटक में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और कथा को एक अत्यंत दुखद मोड़ पर ले जाती हैं।

ओथेलो का संदेह

विलियम शेक्सपियर के ओथेलो में, नायक ओथेलो के मन में संदेह उत्पन्न होना एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इयागो, जो ओथेलो के प्रति विद्वेष रखता है, अपनी धूर्त योजनाओं के माध्यम से ओथेलो के मन में डेस्डेमोना के प्रति अविश्वास की भावना भरने का प्रयास करता है। इयागो चालाकी से ओथेलो के विश्वास और प्रेम को तोड़ने का कार्य करता है, जिससे ओथेलो मानसिक संघर्ष में फंस जाता है।

इयागो की साजिशें और उसकी चालाक बातें ओथेलो के मन में संदेह के बीज बोने लगती हैं। वह ओथेलो को यह विश्वास दिलाने में सफल हो जाता है कि उसकी पत्नी डेस्डेमोना का कैसियो के साथ अवैध संबंध है। इयागो की नापाक चालें ओथेलो के मन को इस कदर प्रभावित करती हैं कि वह अपनी प्रिय पत्नी पर संदेह करने लगता है।

ओथेलो के मानसिक संघर्ष का वर्णन करते हुए शेक्सपियर ने इस पात्र की जटिलताओं को बखूबी चित्रित किया है। ओथेलो का संदेह और उसकी आंतरिक पीड़ा उसकी भावनात्मक स्थिति को दर्शाते हैं। इयागो के छल और ओथेलो के मनोवैज्ञानिक द्वंद्व ने इस नाटक को एक त्रासदी का स्वरूप दिया है।

ओथेलो की यह मानसिक स्थिति उसे धीरे-धीरे आत्म-नाश की ओर ले जाती है। उसकी प्रेमिका डेस्डेमोना के प्रति बढ़ते अविश्वास और संदेह ने उसके जीवन को एक गहरे अंधकार में धकेल दिया। शेक्सपियर ने इस खंड में संदेह और मानसिक संघर्ष के माध्यम से मानवीय मन की गहराइयों को उजागर किया है। ओथेलो का संदेह उसकी त्रासदी की जड़ बन जाता है, जो अंततः उसकी और डेस्डेमोना की मृत्यु का कारण बनता है।

डेस्डेमोना की मासूमियत

शेक्सपियर की कालजयी कृति, “ओथेलो,” में डेस्डेमोना का चरित्र मासूमियत और पवित्रता का प्रतीक है। डेस्डेमोना एक निष्ठावान पत्नी है, जो ओथेलो से असीम प्रेम करती है और उसके साथ हर परिस्थिति में खड़ी रहती है। उसकी मासूमियत और निस्वार्थता स्पष्ट रूप से दिखती है, जब वह ओथेलो के संदेह और ईर्ष्या के बावजूद अपनी सच्चाई पर अडिग रहती है।

ओथेलो की संदेहास्पद दृष्टिकोण और ईर्ष्या का शिकार बनने के बावजूद, डेस्डेमोना अपनी मासूमियत को बनाए रखती है। वह अपने पति की खुशियों के लिए हर संभव प्रयास करती है और उसे संदेह से बाहर निकालने के प्रयास में भी विफल रहती है। डेस्डेमोना का चरित्र इस नाटक में सत्य और पवित्रता का प्रतीक है, जो उसके प्रति अन्याय को और भी मार्मिक बनाता है।

ओथेलो के संदेह का बीज इयागो द्वारा बोया गया था, जिसने डेस्डेमोना की निष्ठा पर प्रश्न उठाए। इयागो की चालाकियों के बावजूद, डेस्डेमोना का चरित्र कभी भी संदिग्ध नहीं होता। उसकी पवित्रता और निष्ठा उसके हर कार्य में झलकती है, चाहे वह ओथेलो के साथ हो या उसके प्रति उसके प्रेम को व्यक्त करने के तरीके में।

डेस्डेमोना की मासूमियत और उसके प्रति अन्याय को देखकर दर्शकों के मन में गहरी संवेदना उत्पन्न होती है। शेक्सपियर ने डेस्डेमोना के चरित्र के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया है कि सच्चाई और मासूमियत हमेशा जीतती है, भले ही अस्थायी रूप से उसे पराजय का सामना करना पड़े। डेस्डेमोना का चरित्र हमें यह सिखाता है कि प्रेम और निष्ठा किसी भी संदेह या ईर्ष्या से ऊपर होते हैं, और सच्चाई की हमेशा विजय होती है।

संकट और त्रासदी

विलियम शेक्सपियर का ‘ओथेलो नाटक’ अपने चरम संकट और त्रासदी के लिए मशहूर है। इस खंड में, ओथेलो के द्वारा डेस्डेमोना की हत्या और उसके बाद की घटनाओं का विवरण दिया जाएगा। इयागो की चालाकी और धोखे के चलते, ओथेलो को यकीन होता है कि उसकी पत्नी डेस्डेमोना उसे धोखा दे रही है। इयागो के झूठ और षड्यंत्रों की वजह से ओथेलो ऐसा कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है जो नाटक को त्रासदी की ओर धकेल देता है।

ओथेलो का डेस्डेमोना की हत्या करना एक निर्णायक मोड़ है, जो नाटक की त्रासदी को और गहरा बनाता है। ओथेलो, अपने प्रेम और विश्वासघात के बीच उलझा हुआ, अंततः डेस्डेमोना को मार डालता है। यह कृत्य न केवल उसके जीवन को बल्कि अन्य पात्रों के जीवन को भी त्रासदी में बदल देता है।

इसके बाद की घटनाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। इयागो की असलियत का खुलासा होता है जब उसकी पत्नी, एमिलिया, इयागो की धोखेबाजी को उजागर करती है। एमिलिया का साहसिक कदम नाटक के चरमोत्कर्ष को और भी प्रभावी बनाता है। जैसे ही इयागो की असलियत सबके सामने आती है, ओथेलो को अपने कार्यों का एहसास होता है और वह गहरे पछतावे में डूब जाता है।

नाटक के अंत में, ओथेलो अपने अपराध की सजा खुद ही देता है और आत्महत्या कर लेता है। इयागो को गिरफ्तार कर लिया जाता है, लेकिन उसकी सजा का विवरण नाटक में नहीं दिया गया है। इस प्रकार, “ओथेलो” न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी को उजागर करता है बल्कि मानवीय कमजोरियों और धोखे की विनाशकारी शक्ति को भी दिखाता है।

ओथेलो नाटक का निष्कर्ष

विलियम शेक्सपियर के “ओथेलो” का अंत अत्यंत दुखद और प्रभावशाली है। नाटक के अंतिम दृश्य में ओथेलो, अपनी पत्नी डेस्डेमोना की हत्या करने के बाद, यह समझता है कि उसने एक निर्दोष आत्मा की जान ली है। यह भयावह सत्य जानने के बाद, वह आत्महत्या कर लेता है।

इयागो, जिसने अपनी चालाकियों और धोखेबाजी से इस त्रासदी को अंजाम दिया था, अंततः पकड़ा जाता है। हालांकि, उसकी सजा का विवरण स्पष्ट रूप से नहीं दिया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उसे न्याय मिलेगा। इयागो के कुकर्मों की सच्चाई सामने आने पर उसके प्रति घृणा और क्रोध प्रकट होते हैं।

नाटक के प्रमुख संदेश और थीम्स में धूर्तता, जलन, और विश्वासघात शामिल हैं। इयागो के धोखे और षडयंत्र ने ओथेलो के मन में संदेह और जलन के बीज बोए, जिससे वह अंधे होकर अपनी पत्नी की हत्या कर देता है। यह नाटक इस बात का प्रमाण है कि कैसे एक व्यक्ति की धूर्तता और धोखाधड़ी कई लोगों की जिंदगी बर्बाद कर सकती है।

‘ओथेलो नाटक’ की प्रासंगिकता आज भी बरकरार है। यह नाटक सामाजिक और व्यक्तिगत मुद्दों पर गहन चिंतन प्रस्तुत करता है। इसमें जातिवाद, पूर्वाग्रह, और नैतिकता के सवाल भी उठाए गए हैं, जो आज के समाज में भी महत्वपूर्ण हैं। ओथेलो और डेस्डेमोना की कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रेम और विश्वास के बिना किसी भी रिश्ते का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।

इस नाटक की शिक्षा यह है कि हमें अपने आसपास के लोगों की नीयत और व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए और किसी भी प्रकार के संदेह या जलन को अपने मन में स्थान नहीं देना चाहिए। शेक्सपियर के इस अद्वितीय कृति ने न केवल साहित्यिक जगत में अपनी पहचान बनाई, बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण संदेश दिया है।

विलियम शेक्सपियर की अन्य त्रासदियाँ

हेमलेट

“हैमलेट” संभवतः शेक्सपियर की सबसे प्रसिद्ध त्रासदी है, जो डेनमार्क के राजकुमार हेमलेट की कहानी पर आधारित है, जो अपने पिता की असामयिक मृत्यु का बदला लेना चाहता है। मुख्य विषयों में पागलपन, बदला और जीवन और मृत्यु के अस्तित्वगत चिंतन शामिल हैं, जो हेमलेट के प्रसिद्ध एकालाप “होना या न होना” में परिलक्षित होते हैं।

हेमलेट के चरित्र की जटिलता, साथ ही गर्ट्रूड, ओफेलिया और क्लॉडियस जैसे अन्य पात्रों की नैतिक अस्पष्टता ने इस नाटक को कालातीत बना दिया है। मानवीय भावनाओं और नैतिक दुविधाओं की खोज के माध्यम से इसकी प्रासंगिकता बनी रहती है। उल्लेखनीय रूपांतरणों में लॉरेंस ओलिवियर की 1948 की फिल्म और केनेथ ब्रानघ की 1996 की फिल्म शामिल हैं, दोनों ने नाटक की जटिल कथा में नए आयाम जोड़े।

किंग लीयर

“किंग लीयर” शक्ति, पागलपन और पारिवारिक कलह के विषयों को संबोधित करता है। कथानक वृद्ध राजा लीयर के इर्द-गिर्द घूमता है, जो अपनी बेटियों की चापलूसी के आधार पर अपने राज्य को उनके बीच बांटने का फैसला करता है, जिससे उसका दुखद पतन होता है। नाटक में मानवीय पीड़ा और मुक्ति की खोज की खोज सार्वभौमिक अपील करती है। प्रमुख पात्रों में लीयर, उसकी वफादार बेटी कॉर्डेलिया और विश्वासघाती एडमंड शामिल हैं। “किंग लीयर” ने अधिकार और मानवीय स्थिति की अपनी जांच में स्थायी प्रासंगिकता पाई है। उल्लेखनीय रूपांतरणों में पीटर ब्रुक की 1971 की फिल्म और इयान मैककेलन की 2007 की स्टेज परफॉर्मेंस शामिल हैं, जो दोनों ही नाटक की भावनात्मक और विषयगत तीव्रता को उजागर करती हैं।

मैकबेथ

“मैकबेथ” महत्वाकांक्षा, शक्ति और अपराधबोध की एक मनोरंजक कहानी है। कहानी मैकबेथ नामक स्कॉटिश जनरल की है, जिसकी महत्वाकांक्षा एक भविष्यवाणी से प्रज्वलित होती है और उसकी पत्नी लेडी मैकबेथ द्वारा प्रेरित होती है। अनियंत्रित महत्वाकांक्षा, नैतिक भ्रष्टाचार और भाग्य बनाम स्वतंत्र इच्छा के विषय गहराई से प्रतिध्वनित होते हैं। मैकबेथ, लेडी मैकबेथ और तीन चुड़ैलों जैसे चरित्र अपनी मनोवैज्ञानिक जटिलता के लिए यादगार हैं। “मैकबेथ” मानव मानस और नैतिक अपराधों के परिणामों की खोज के लिए प्रासंगिक बना हुआ है। उल्लेखनीय रूपांतरणों में रोमन पोलांस्की की 1971 की फिल्म और जस्टिन कुर्ज़ेल की 2015 की फिल्म शामिल हैं, जो दोनों नाटक की अनूठी दृश्य और विषयगत व्याख्याएं प्रस्तुत करती हैं।



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